Prompt
(Verse 1)
ये ज़िंदगी की राहों में, खो गया हूँ मैं,
सदियों से टूटे दिल का, बेतहाशा गम मैं।
ज़रे-ज़रे में उतरी, ये तन्हाई की रात,
ज़िंदा हूँ फिर भी लगता है, मर गया हूँ मैं।
(Chorus)
सब बेमिसाल रंग खो गए, ये दिल अब कैसे जिए,
आवाज़ देने को होंठ तरसे, खो गये सब वादे।
ज़िंदगी की इस जंजीर में, उलझा हूँ मैं आज,
अया हूँ धुंधले दिनों में, ये ज़िंदगी से आज।
(Verse 2)
दर्द के रास्तों पर चलते, ये कदम थक गये,
ख़ुद को खो बैठे हम, बचा है न कोई रास्ता।
बैठे हैं ज़िंदगी की मंजिल पे, लूटे हुए आशाएं,
दर्द भरी ये आंखें, खो गयी हैं रातों को जगाएं।
(Bridge)
ज़िंदगी की ख़ामोशी में, घुलता है ये गम,
आवाज़ देने को दिल तरसे, खो गये सब नागम।
धुंधले से चेहरे में, छुपे हैं ये आंसू,
सदियों से रुका हुआ, ये दर्द भरा आलम।
(Chorus)
सब बेमिसाल रंग खो गए, ये दिल अब कैसे जिए,
आवाज़ देने को होंठ तरसे, खो गये सब वादे।
ज़िंदगी की इस जंजीर में, उलझा हूँ मैं आज,
अया हूँ धुंधले दिनों में, ये ज़िंदगी से आज।
(Outro)
ये गम की रातों में, ज़रा सा है उम्मीद,
धुल गये रंग ये दिल के, बचा है न कोई ख्वाब।
बैठे हैं दर्द के ज़ंजीर में, लूट गये सब रंग,
ये है ज़िंदगी की दास्ताँ, सदियों से उलझी हुई तरंग