Prompt
ओ रे बंजारे, रास्तों पे चल पड़े
अपने ही साये से भी दूर
थके हारे, मन में उलझे हुए
ख़्वाबों के संग फिर भी मजबूर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
जहाँ जहाँ भी तू गया
किसी ने तुझे पहचाना ना
बदन पे निशान दर्द के
आँखों में उदासी का धुआं
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
उड़ने की ख़्वाहिश, सपनों का सफर
लौट आ मुसाफिर, अब बस घर
तेरे अपने इंतजार में
मन की पीड़ा का असर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
तू चला जहाँ, तुझे राह नहीं मिली
पथरीले रास्तों पे पांव जले
आवाज़ों के बीच, तन्हाई में फँसा
दिल की आवाज़ से तू अनमिला
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
सपनों की चमक में तू खो गया
हकीकत से नाता तोड़ गया
रास्तों में अंधेरों का सफर
तेरी मंजिल अब घर के ही अंदर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
ख्वाबों के पंछी, उड़ते चले दूर
अपने आशियाने को अब दे दस्तूर
राहें अनजानी, मंजिलें अनदेखी
लौट आ अब, यही तेरा नसीब है
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
अब वक्त है रुके, अपने दिल की सुने
आँखों के दरिया में दर्द को धोए
मुस्कान की किरण फिर से चमके
अपने आशियाने को फिर से सजाए
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ
कभी तो रुकेगा तू, अपने दिल की सुनेगा तू
ख़ुद को पहचान लेगा तू, फिर से अपने घर आएगा तू
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
ओ रे मुसाफिर, लौट आ अब अपने घर
घर आ जा, घर आ जा, घर आ जा आ आ